हम दो अजनबी एक थे
हम दो अजनबी एक थे
हम कितने खुश थे
अजनबी एक-दूसरे के लिए
हर छोटी-मोटी खुशी का ख्याल रखते थे
एक दूसरे के लिए।
हम तुम्हारे बिना
और तुम हमारे बिन रह नहीं पाते थे
आपकी आहट सुनकर सोते भी जाग जाते थे।
नहीं होते थे पास तुम
आपकी आहट को ही मन में धरोहतें थे
हम आपको इतना पसंद करते थे
कि तुम हमारे ख्वाबों में भी आ जाते थे।
और हम तुम्हारे ख्वाबों में ही रह जाते थे
हम कितने खुश थे
अजनबी एक-दूसरे के लिए।
आज तुम कही
और हम कही और हैं
हम कवि
और तुम हमारी कल्पना हो।