ट्विंकल शर्मा, एक मासूम
ट्विंकल शर्मा, एक मासूम
एक मासूम के साथ
जिन्होंने खेल घिनौना खेला है
रूह कांप रही होगी
माँ बाप की भी
जिनके घर में पैदा होकर बेटी सो रही होगी
किस मासूम को क्या पता
अब अगला नम्बर किस का है
ये सोच कर हर माँ बाप की छाती दहल रही होगी
आज इस मासूम के साथ जो हुआ
ये सोच कर हर भाई की बहन रो रही होगी
अब अगला नम्बर किस का
ये सोच कर कोई बेटी किसी कोने में रो रही होगी
जाहिद खान और असलम खान
शक्ल तो देखो इन दरिंदो की
हैवानो की
वो मासूम इन चेहरे को देखकर डर गई होगी
क्या पता उस मासूम को
अगले पल ये कुत्ते तुझे नोच कर खा जायेंगे
ये सोच कर उस मासूम की धड़कन रुक गई होगी
इस घिनौनें खेल की कीमत किसने चुकाई
हर इंसान की आँखें भर गई होंगी
काफी समय से रुकी मेरी कलम
उस बेटी की ख़ातिर चल गई होगी
अब चाहे कुछ भी हो जाए
मुझे इन अल्फाजों की कीमत चुकानी होगी
मैंने अब कर लिया प्रण
अब ऐसे दरिंदो को सजा दिलानी होगी
अब चैन से नहीं बैठने की कसम खाई है
अब ये कसम तो निभानी होगी
अब चाहे कुछ भी हो जाए
तुम सब साथ दो या मत दो
अब मुझे मेरी कलम चलानी होगी
मरे हुये इंसानो की जमीर जगानी होगी
इंसानियत की फर्ज निभानी होगी।।