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Suchismita Behera

Abstract

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Suchismita Behera

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तुफान

तुफान

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शोर नहीं आवाज़ है ये

भीड़ की तनहाई है ये

शांत जुबान की आक्रोश है ये

तूफान के पहले की ख़ामोशी है ये ।


हवा के साथ संदेशा लाया

एक ही बारी में सब बयां कर गया

चुप रहके ताक़त का समा बांधकर

महसूस के साथ कुछ यूं फ़रमाया ।।


डराना मेरी कोशिश नहीं

क्योंकि डरना तेरी आदत नहीं

पर कोशिश ना समझकर आदेश समझ

नियती पे तू बन मत बोझ ।।


समय सीमा के अंतर में

सब कुछ बदल जायेगा

पर मत भूल कि समय सीमित नहीं

पल भर में बहुत कुछ हो जायेगा ।।



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