सपने
सपने
सपने देखने का हक है मुझे
इसमें कोई शक नहीं
आवाज़ उठाना मुझे ना सिखाओ
बात करने का ये तरीका नहीं ।
सवाल करना तुम्हारा हक नहीं
क्योंकि मैंने ये हक ना दिया
खत्म करो ये सिलसिला
मुझमें अब ये इच्छा नहीं ।।
सोचने का अब ताकत नहीं
ख़ामोश रहना अब सिख भी जाओ
मेरे हक के हकदार बनना
सोच तुम भुल भी जाओ ।।
आज बता रही हुं
कल को वह भी ना होगी
मेरे सपनों के बुनियाद पर
तेरे होने का प्रभाव ना होगी ।।