मेरी परछाई
मेरी परछाई
1 min
3.2K
मेरी परछाई
कुछ यूं कह गई,
कि ज़माना बदल सा गया है
संघर्ष बढ़ सा गया है ।
साथ मेरे बस तू ही रही
आगे-पीछे और कोई नहीं
संभलने का साहस तूने दिया
बाकी ग़म पिघलने दिया ।।
कहने को तो बहुत कुछ है
कहने का तुझे शौक़ नहीं
चुप रहकर भी तूने
बहुत जवाबें डे दिया ।।