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Mayank Kumar 'Singh'

Abstract Drama Romance

3  

Mayank Kumar 'Singh'

Abstract Drama Romance

तुमको मालूम नहीं

तुमको मालूम नहीं

1 min
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मैं हूं क्या तुम को मालूम नहीं

मैं रास्ता हूं उस मंज़िल की,

जो न मिलती है यूं ही ..!

मुझ को तुमने हर पल परखा

मैं पल भर भी न टूटा

हर वक्त मैंने बस तुम को

खुद से मिलाने कि कोशिश की

किसी रास्ते की भांति

तुम्हें तुम्हारी मंज़िल देने की

कोशिश की


लेकिन, तुम तो न वैसा

मुसाफ़िर निकली,

जिसको मंज़िल की फ़िक्र हो, 

अपने रास्ते पर यक़ीन हो

तुम तो बस हर वक्त, हर हाल में

रास्ते को सस्ता समझते गई

अपनी मंज़िल से खुद को दूर करते गई

फिर क्यों बोलती हो तुम -

'तुमने ही मुझ को ठुकराया

किसी और मंज़िल की ओर भटकाया 

न तुम मिले न मेरी मंज़िल मिली

मैं न तुम्हें पा सकी न खुद को ही

जहां तुम्हें रास्ता बनना था मुझे मुसाफ़िर 

और हमारी मिलन को हमारी मंज़िल' ! 



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