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संजय असवाल

Abstract Tragedy

4.7  

संजय असवाल

Abstract Tragedy

तुम्हें जवाब देना होगा..?

तुम्हें जवाब देना होगा..?

1 min
268


इन दरकते पहाड़ों और

बंजर बियाबान खेतों का 

हिसाब देना होगा 

विकास के झूठे वादों की 

हर तबाही का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


बांधों में सुबकती नदियों का

सूखते गाङ गदेरों का 

हिसाब देना होगा 

प्रकृति से खिलवाड़ का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


इन खंडहर होते मकानों और 

बर्बाद होते गांवों का 

हिसाब देना होगा 

खुशियां जो अब मुरझा गई

तुम्हें जवाब देना होगा..?


जो छला है भावनाओं को 

कुचला है आत्माओं को 

उनकी पाई पाई का हिसाब देना होगा 

तुम्हारी हर धृष्टता पाखंड का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


बेरोजगारों की लाचारी का 

सिस्टम की मारामारी का

हिसाब देना होगा 

युवाओं के उजड़े भविष्य का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


कमर किसानों की टूट गई

खेती भी उनसे रूठ गई 

उनके बहते अश्कों का

हिसाब देना होगा 

दशकों से जो ठगा उन्हें 

तुम्हें जवाब देना होगा..?


आमदनी चवन्नी हो गई

मंहगाई डायन खा गई

सुने पड़े बाजारों का

हिसाब देना होगा 

भ्रष्टाचार से जो खुद घर भरे

तुम्हें जवाब देना होगा..?


दूध के लिए बिलबिलाते बच्चों का

सकपकाई गृहणी के चूल्हे का

हिसाब देना होगा 

मुंह से छीने निवाले का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बुरा 

शमशान में भी लगा है पहरा 

लोगों के दुःख तकलीफों का 

हिसाब देना होगा 

सरकारी तंत्र के निकम्मेपन का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


चौपट कारोबार हो गया 

रुपया बेबस लाचार हो गया 

इस मंदी महंगाई का

हिसाब देना होगा 

उद्योगों में लगे तालों का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


सुनी आंखों में डूबते सपनों का

पहाड़ से पलायन किए अपनों का

हिसाब देना होगा 

राज्य की हर बर्बादी का

तुम्हें जवाब देना होगा..?


उम्मीदों को तरसते राहों का 

अब गांव पहुंचती सड़कों का 

हिसाब देना होगा 

तुम्हारी हर बदनीयत का

तुम्हें जवाब देना होगा..? 


विकास के झूठे वादों का 

हर छोटे बड़े घोटालों का 

हिसाब देना होगा

तुम्हारी  नाकामियों का 

तुम्हें जवाब देना होगा..? 


आत्मदाह करते बच्चों का

महंगी होती शिक्षा का 

हिसाब देना होगा 

गरीबों का जो हक छीना 

तुम्हें जवाब देना होगा..?


मांओं के छलकते आंसुओं का 

इंतजार में बैठे पिताओं का

हिसाब देना होगा 

पहाड़ जो बरबाद किए

तुम्हें जवाब देना होगा..? 




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