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Deepa Jha

Romance

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Deepa Jha

Romance

तुम्हें ढूँढ़ते हैं

तुम्हें ढूँढ़ते हैं

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तुम्हें तस्वीरों में ढूँढ़ते हैं ,

कभी तदबीरों में ढूँढ़ते हैं,

इन बेबस निगाहों का क्या ,

रह रह कर तुम्हें हर गली ,

हर चौराहे पे ढूँढ़ते हैं। 

सूरज से चाँद तक ढूँढ़ते हैं ,

तारों भरी सर्द रात से ,

सुहानी , नरम सुबह तक ढूँढ़ते हैं,

लहलहाते धान से ,

खनकती बाजरे की खान तक ,

इन लाचार निगाहों का क्या,

तुम्हें हर उलझी -सुलझी बातों में ढूँढ़ते हैं ,

इन बेबस निगाहों का क्या ,

रह रह कर तुम्हें हर गली,

हर चौराहे पे ढूँढ़ते हैं।  



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