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Brijlala Rohan

Romance

3  

Brijlala Rohan

Romance

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें

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मैं तुम्हें भूलना चाहा था कभी! 

लेकिन आपकी यादें हम-साये की तरह हमेशा हमारे साथ रहती हैं!

साथ चलती है। परछाई की तरह मेरे साथ चलती है !

पीछा ही कभी नहीं छोड़ती मेरा !

कभी तेज प्रकाश में पलभर के लिए लुप्त जरूर हो जाती है !

लेकिन पहर भर में ही वापस हाजिर! 

मैं तुमसे दूर आया था ये सोचकर की वक्त के साथ तुझे भूल जाऊँगा ! पर क्या पता था मुझे कि तुमसे दूर रहकर भी इस तरह तेरे साथ जुड़ जाऊँगा !

करीब तेरे इतना आ जाऊँगा ! मैं

तुमसे जितना दूर जाता हूँ !

खुद को तुम्हारे उतना ही करीब पाता हूँ।

पर एक भय सदा जेहन को भ्रमित करती रहती है कि क्या तुम्हारा भरोसा मैं जीत पाऊँगा !

क्या तुम मेरे लिए दुनिया से लड़ पाओगी ??

कहीं जमाने के जिद के तुम झुक तो न जाऐगी !

नहीं ! नहीं ऐसा नहीं हो सकता !

और न ही हम - तुम ऐसा होने देंगे ।

साथ मिलकर साथ निभाने का संकल्प लिया है ,हमने !

एक - दूजे के वास्ते दुनिया से लोहा लेंगे पर साथ कभी ना एक दूजे का छोडेंगें।। 


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