तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
मैं तुम्हें भूलना चाहा था कभी!
लेकिन आपकी यादें हम-साये की तरह हमेशा हमारे साथ रहती हैं!
साथ चलती है। परछाई की तरह मेरे साथ चलती है !
पीछा ही कभी नहीं छोड़ती मेरा !
कभी तेज प्रकाश में पलभर के लिए लुप्त जरूर हो जाती है !
लेकिन पहर भर में ही वापस हाजिर!
मैं तुमसे दूर आया था ये सोचकर की वक्त के साथ तुझे भूल जाऊँगा ! पर क्या पता था मुझे कि तुमसे दूर रहकर भी इस तरह तेरे साथ जुड़ जाऊँगा !
करीब तेरे इतना आ जाऊँगा ! मैं
तुमसे जितना दूर जाता हूँ !
खुद को तुम्हारे उतना ही करीब पाता हूँ।
पर एक भय सदा जेहन को भ्रमित करती रहती है कि क्या तुम्हारा भरोसा मैं जीत पाऊँगा !
क्या तुम मेरे लिए दुनिया से लड़ पाओगी ??
कहीं जमाने के जिद के तुम झुक तो न जाऐगी !
नहीं ! नहीं ऐसा नहीं हो सकता !
और न ही हम - तुम ऐसा होने देंगे ।
साथ मिलकर साथ निभाने का संकल्प लिया है ,हमने !
एक - दूजे के वास्ते दुनिया से लोहा लेंगे पर साथ कभी ना एक दूजे का छोडेंगें।।