तुम्हारी ख़ामोशी
तुम्हारी ख़ामोशी
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है
बिना बोले ही यह लफ़्ज़ों के मोल देती है
अनकहे एहसास की गिरह खोल देती है
अंदरूनी आवाज़ की सतह टटोल देती है
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है
इसी ख़ामोशी ने तो लबों को लरज़ना सिखाया है
इसी ख़ामोशी ने तो पलकों को झपकना सिखाया है
इसी ख़ामोशी ने तो दिल को धड़कना सिखाया है
इसी ख़ामोशी ने तो खुशबू को महकना सिखाया है
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है
बिना बोले ही यह सांसें कुछ और देती है
सिले हुए लबों की हर गिरह खोल देती है
ठहरे हुए आंसुओं की नमी टटोल देती है
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है
इसी ख़ामोशी के इंतज़ार में कुछ अल्फ़ाज़ अब तक अधूरे हैं
पूरा करने के लिए जिन्हें मुझे तु्म्हारे एहसास की ज़रूरत है
इस ख़ामोशी की चादर में, मुझको भी छुपा लो न जानाँ
बहुत दिन हो गए हैं शोर में पलते हुए, दिल ने ये माना
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है
बिना बोले ही यह लफ़्ज़ों के मोल देती है
अनकहे एहसास की गिरह खोल देती है
अंदरूनी आवाज़ की सतह टटोल देती है
तुम्हारी ख़ामोशी बहुत कुछ बोल देती है