तुम्हारी अभिव्यक्ति
तुम्हारी अभिव्यक्ति
मेरे द्वारा
लिखी प्रेम अभिव्यक्ति
की सैकड़ों कविताएं
जिनमें से कुछ
पुरस्कृत हुईं
कुछ बेहद सराही गई
और हासिल हुए प्रशस्ति पत्र लेकिन वो निरस्त हो गई
तुम्हारी
एक अभिव्यक्ति से
कितना सहज सरल
शब्दों में बयां किया था
तुमने ........
"हां, मुझे तुम्हारा ध्यान नहीं रहता ....
निरन्तर
निर्बाध रूप से
चलती सांसों पर
भला कौन गौर करता है ...?"
तुम्हारी यह गोल-मोल बातें
मेरे रचनात्मक हुनर को खत्म कर दिया है
अब क्या लिखूं
और क्यों लिखूं .?
सारी जद्दोजहद
तो बस
तुम्हें बताने की थी
अपनी मोहब्बत
जताने की थी ......