STORYMIRROR

Shalinee Pankaj

Abstract

4  

Shalinee Pankaj

Abstract

तुम्हारे लिए

तुम्हारे लिए

1 min
413

हर ख्वाहिशें

तेरे नाम कर दूँ

हर मुश्किलें तेरी

आसान कर दूँ।


झंझावती हवा भी

न तोड़ पाएगी मुझे

हर तूफ़ान का उफान

कम कर दूँ।


तेरे गमो से नाता जोड़

तुझे महफूज रखुँगी

ये जन्म तो क्या

हर जन्म तुझपे निसार करूँगी।


हर आरजू बुलन्द कर दूँ 

और आसमाँ में सुराख कर दूँ

इस धरती को उस अम्बर से मिला

इस क्षितिज को भी पार कर दूँ।


तू एक बार आवाज जो दे

मरकर भी जी उठूँगी

पंचतत्वो में विलीन हुआ शरीर तो

फिर से जन्म लूंगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract