तुम्हारे चले जाने के बाद
तुम्हारे चले जाने के बाद
कभी -कभी,
तुमसे हुई लम्बी लड़ाई के बाद
मैं सोचता हूँ,
बड़े भारी मन से
कि क्या होगा, कैसे होगा
तुम्हारे चले जाने के बाद।
क्या बसंत के मौसम में
खिलेंगे फूल,
अगर खिलेंगे तो क्या उनमें रंग होगा।
अगर होगा तो,
क्या मैं वो देखकर खुश हो पाऊँगा
तुम्हारे चले जाने के बाद।
क्या गर्मी के मौसम में
आमों में बौर आएगी,
चारों तरफ फिर से क्या
गन्ने का जूस मिलेगा,
और अगर मिलेगा
तो वो क्या मेरा गमजदा,
दिल को वो ठंडक दे पाएगा,
तुम्हारे चले जाने के बाद।
क्या तुम्हारे जाने के बाद भी
सावन आएगा,
और सावन आएगा
तो फिर से झूले लगेगे
और सावन के गीत गाए जायेंगे।
पर अगर गाये जायेंगे
तो क्या वो मेरे दिल को
पहले की तरह ही छू पाएंगे,
वो भी तुम्हारे चले जाने के बाद|
क्या तुम्हारे जाने के
बाद भी बारिश आयेगी,
आयेगी तो क्या मेरा
मन फिर से मचलेगा,
बारिश में भीग जाने को,
घर में उस समय भी
अगर चाय-पकोड़ियाँ बनेगी,
तो क्या उनमें वही स्वाद आएगा
वो भी तुम्हारे चले जाने के बाद।
क्या ठण्ड आयेगी,
तुम्हारे जाने के बाद,
अगर आयेगी तो ठण्ड की रातें
क्या उतनी ही लम्बी होगी।
लम्बी होगी तो मेरे पास कोई होगा,
जिससे रात भर मैं,
अपनी भावनाएँ -सवेंदनाएँ बता सकूँ।
अगर होगा तो क्या मेरा मन होगा
रात भर उससे बात करने का,
तुम्हारे चले जाने के बाद |
क्या दिल्ली मेरे लिए वैसी ही रहेगी,
तुम्हारे जाने के बाद,
क्या दिल्ली जाना उतना ही
रोमांच भरने वाला होगा।
नार्थ कैंपस की गलिया
और हड़सन लेन की सड़कें,
उतनी ही यादों से भरी होंगी।
अगर होंगी,
तो उन्हें याद कर मैं
कैसा महसूस करुँगा।
बस, इसलिए मैं अक्सर सोचता हूँ,
कि क्या होगा, कैसे होगा
तुम्हारे चले जाने के बाद।।