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shekhar kharadi

Romance Others

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shekhar kharadi

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तुम्हारे बिना

तुम्हारे बिना

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प्यार बहता पानी है

कैसे रोक लूँ ?

आँखों में बाँध बाँधकर

वो तो साहिल का गहरा तट है

कैसे नदियाँ पार करूँ ?

तुम्हारे बिना...

वो तो निर्जन वन में खिलता सुंदर पुष्प है

कैसे सुगंध को श्वास में भर लूँ ?

तुम्हारे बिना...

वो तो उष्णता में मीठी ठंडक है

कैसे स्वयं पर बरसा दूँ ?

तुम्हारे बिना...

वो तो हृदय का अनुपम श्रृंगार है

कैसे प्रेम निस्वार्थ करूँ ?

तुम्हारे बिना...


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