तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
कुछ गुनगुनाती ख़ामोशी है
कुछ बिख़री तन्हाई है
बस हवा की सरगोशी है
और साँसों की आवाजाही है
हर आतीजाती सांस में
तुम्हारी ख़ुशबू समाई है
सब कुछ ख़ाली ख़ाली है
मग़र दिल का ज़र्रा ज़र्रा यहाँ
सरसब्ज़ और आबाद है
दिल की ख़ुशफ़हम दुनिया
तुम्हारे ख़ुशनुमा तस्स्वुर से शाद है
तुम्हारी याद आसमां में
चाँद-सितारों सी है
तन्हा अँधेरी रातों को
जगमगा जाती है
तुम्हारा ख़्याल सुबह के
आफ़ताब जैसा है
सर्द मौसम में गर्म मख़मली
एहसास दे जाता है
तुम्हारा पुरसुक़ून वजूद
घने दरख़्त के साये सा है
अपने आग़ोश में लेकर
थकन को उड़नछू कर देता है
तुम्हारी बातें
ठंडे पानी की बूँदें हैं
जो तन मन को
तरोताज़ा कर जाती हैं
और तुम्हारा साथ चांदनी रात है
कभी ज्यादा कभी कम
कभी मिलो कभी ग़ुम!