तुम्हारा इक फैसला
तुम्हारा इक फैसला
तुम्हारे लिए गए फैसले से ,
मुझे ये दिन भी देखना पड़ रहा है..
कभी जन्मदिन की सारी तैयारी तुम करती थी ,
और अब बात ऐसी है की तुम्हे ही बुलाना पड़ रहा है ..
इंतज़ाम कर के तुम मेरे दोस्तों के साथ
मेरा इंतजार करती थी,
'एक दोस्त आने को है' ये बात
आज दोस्तों को बताना पड़ रहा है..
मेरे जिन दोस्तों को तुम जानती हो पहले से,
उन्हीं से तुम्हे मिलवाना पड़ रहा है ..
तुम्हारे साथ होते हुए भी,
केक का पहला टुकड़ा
किसी और को खिलाना पड़ रहा है..
गले लग कर तुम मुझे विश करती थी,
और अब हाथ मिलाना पड़ रहा है ..
तुम आयी हो इस बात की खुशी को,
बस शुक्रिया बोलकर जताना पड़ रहा है ..
देखो मजबूरी में मुझे ये क्या क्या करना पड़ रहा है,
तुम्हारे दिए तोहफों को सबके सामने खोलता था
और अब सबसे छुपाना पड़ रहा है...