तुम
तुम
तुम.. एक हवा के
झोंके के माफ़िक !
मुझे छूकर ,
गुज़र जाते हो!
और मैं,,,
तुम्हें पकड़ने की कोशिश में
भूल जाती हूँ...
हवा भी कहाँ रुकती है!
तुम.. एक हवा के
झोंके के माफ़िक !
मुझे छूकर ,
गुज़र जाते हो!
और मैं,,,
तुम्हें पकड़ने की कोशिश में
भूल जाती हूँ...
हवा भी कहाँ रुकती है!