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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

तुम वो सच् हो

तुम वो सच् हो

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तुम वो सच हो प्रिय जिसका वर्णन मात्र

मोक्ष प्राप्त करने का सक्षम रखता है। 

तुमने आज तक सिर्फ बाह्य आवरण को देखा है 

अपने अंदर कभी झांक नैनों से खुद को चुम नहीं पाई 


वैसे कहो तो अभी भी पढ़ ही रहा तुम्हें हलांकि

 मैं तुम्हारा शरीर नहीं आत्मा हूँ 

अर्थात् तुम्हारा अनुराग तुम्हार ह्र्दय स्पंदन हूँ 

जो तुम्हारे स्नेह में विलय 

तुम्हारे कविताओं के चक्र का वलय स्वरूप 

तुम्हारा अहम अंग बन उभर रहा हूँ 


यूँ तो मैं तुच्छ हूँ तुम्हारे गुणों की व्याख्या नहीं कर सकता

मगर हाँ ये अवश्य जानता हूँ कि तुम्हीं मेरे जीवन की

आधार स्तम्भ हो तुम्हीं मेरी ताकत हो अतः यथार्थपूर्ण 

तुम्हें मांँ सम्बोधित करना मेरा अधिकार नहीं

अपितु मेरा परम् धर्म है प्रिय 

जितना जाना हूँ तुम्हें उसे साक्षी मान 


मैं प्रतिज्ञां लेता हूँ कि सदैव तुम्हारे सम्मान,

स्वाभिमान और प्रेम की रक्षा करूंगा 

तुम्हें शीश पे सजा तुम्हारे पावन पाँव में अर्पित जीवन

कर अंतिम साँस तक सेवा करूंगा 

मैं प्रेम और उसकी मर्यादा का खास ख्याल रखूंगा 


और तुम्हारे होठों से मुस्कुराहट कभी खोने नहीं दूँगा 

मैं तुम्हारे आँचल में लिपट हर उठते नकारत्मक भाव को

गला दूँगा और तुम्हारे तालु पे उकर

सृस्टि के अंत तक सिर्फ तुम्हारा हो जाऊंगा।


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