तुम सा कोई नहीं
तुम सा कोई नहीं
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मेरे दिल में तुम्हीं थे, दूसरा कोई नही।
तुमसा मुझको फिर मिला कोई नही।
इक दफा फिर लौट आओ ए सनम,
अब गिला शिकवा रहा कोई नही।
मानता हूँ कुछ हुई थीं गलतियाँ,
पर दिया तुमसा सज़ा कोई नही।
तुम मिलो बस है यही इक आरज़ू,
दूसरी मेरी रज़ा कोई नही।
दर्द कितना दिल सहा तेरे बिना,
दिल ही जाने जानता कोई नही।
है अमीरी तो तुम्हें पूछे जहाँ,
मुफ़लिसों को पूछता कोई नही।