तुम रहना
तुम रहना
मैं रात भर चलती रहूँ,
पर तुम मेरे साथ चलना।
मैं सुबह फिर बिखरती रहूँ,
पर तुम समेट लेना।
मैं सुध-बुध खोकर तुम्हे तकती रहूँ,
पर तुम नज़रें ना फिराना।
मैं सुलझी-उलझी सी बातें करूँ,
पर तुम बोझिल बेचैन ना होना।
मैं हर बात में तेरा ज़िक्र करूँ,
पर तुम कभी बोर ना होना।
मैं तुझे लेकर अपनी फ़िक्र करूँ,
पर तुम मेरी ओर ही होना।
मैं ख़ुदगर्ज़ी की ‘शह’ बन लूँ,
पर तुम मेरी रूह में रहना।
तुम रहना, रहना, बस मेरे ही रहना।
चाहो तुम हाथ न दो,
मेरा कभी साथ न दो,
मेरे जजंबातों को कहीं निजात तो दो,
तेरे एहसास में मेरी कोई बात तो हो।
तुम रहना, रहना, बस मेरे ही रहना
तुम रहना, रहना, बस मेरे ही रहना।