Sakshi Vaishampayan

Abstract Romance

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Sakshi Vaishampayan

Abstract Romance

शहद

शहद

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शहद दिया था उसने मुझे, 

किसी जंगल-पास गांव से लाई हुई।


दंश था उसमें मधुमक्खियों का, 

और दर्द जैसे किशन की बांसुरी से बहाई सी।

उसके गुस्से की परत, ज़रा खुरच कर देखी,

तो पाई - बड़े जतन से मुहब्बत दबाई हुई,

जो बाहर से सर्द और खुश्क लगा जमाने को, 

उस खुदगर्ज की आंखों में नमी देखी,

कुछ मेरे फिक्र में नहाई सी।


शहद दिया था उसने मुझे

किसी जंगल-पास गांव से लाई हुई,

कतरा भर ज़बान पर रखकर जब चखा,

उसकी फितरत की मिठास है

मेरी शख्सियत में तब से समाई हुईं।


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