तुम मुझे छोड़ जाओ
तुम मुझे छोड़ जाओ
हृदयाकाश में उड़ती
असीम आकांक्षाओं,
दिल के सागर में,
उफनती इच्छाओं,
मन के तहखाने में----
दबी हुई लिप्साओं
आंखों के काजल में
रची- बसी चाहतों,
तुम मुझे छोड़ जाओ----
छोड़ जाओ,--- के---
मैं अब, मुक्ति चाहती हूं----
वर्षों से फसी----
तुम्हारी कारा में-----
अब तुमसे, रिहाई चाहती हूं,
खो गया था करार जो----
तुम्हारे भंवर में डूब कर,
छोड़ दो मुझे---
मैं अब,
किनारा चाहती हूं---
आकांक्षाओं के इंद्रजाल से----
अब, छुटकारा चाहती हूं----
छोड़ जाओ तुम मुझे----
अब रिहाई चाहती हूँ
तोड़ तेरा मकड़जाल ये ,
दूर जाना चाहती हूं---
छोड़ जाओ तुम मुझे----
मैं अब शांत रहना चाहती हूं।

