STORYMIRROR

Ashu Kapoor

Romance Tragedy

4  

Ashu Kapoor

Romance Tragedy

तुम मुझे छोड़ जाओ

तुम मुझे छोड़ जाओ

1 min
337

    

  हृदयाकाश में उड़ती

  असीम आकांक्षाओं,

  दिल के सागर में,

  उफनती इच्छाओं,

  मन के तहखाने में----

  दबी हुई लिप्साओं

  आंखों के काजल में

  रची- बसी चाहतों,

  तुम मुझे छोड़ जाओ----

  छोड़ जाओ,--- के---

  मैं अब, मुक्ति चाहती हूं----

  वर्षों से फसी----

 तुम्हारी कारा में-----

 अब तुमसे, रिहाई चाहती हूं,

 खो गया था करार जो----

 तुम्हारे भंवर में डूब कर,

  छोड़ दो मुझे---

  मैं अब,

 किनारा चाहती हूं---

 आकांक्षाओं के इंद्रजाल से----

 अब, छुटकारा चाहती हूं----

 छोड़ जाओ तुम मुझे----

 अब रिहाई चाहती हूँ 

 तोड़ तेरा मकड़जाल ये ,

 दूर जाना चाहती हूं---

 छोड़ जाओ तुम मुझे----

 मैं अब शांत रहना चाहती हूं।


            


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance