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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

तुम मेरे हो

तुम मेरे हो

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इस दिल के तन्हा एहसासों में

होठों पर आई सभी बातों में

आँखों के इन अधूरे ख़्वाबों में

आज भी तुम सिर्फ मेरे हो


बिखर गई जो याद फ़र्श पर

टुकड़े हुए हम आईने की तरह

ख़्वाहिशों के दरिया में उतरे

मैं शब हूँ तो तुम सवेरे हो


अश्क़ों का अलम ना पूछो

कितना सय्याल हुए है ये

सहर उल्फ़त की न आई

तुम गम के घने अँधेरे हो


दूर हो कर भी दूर नहीं

हम इतने मजबूर नहीं

ज़माने के कितने पहरे हो

दिल मे तो तुम मेरे हो.



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