तुम झील की कमल
तुम झील की कमल
लहराए जिगर में
वह सूरत पल पल
बहक बहक जाए मन
मचल मचल देख तुझे हर पल
तुम झील की कमल।।
नशा इश्क का तेरे
मुग्ध करे हमें भूल तन
उर की तिवान कहाँ
जब मखमली तेरा बदन
तुम झील की कमल।।
हर पंखुुङी झिलमिल
कोमल कपोल खिले खिले
रंग रूप तेरा आफत़ाब
विलीन तुझ मेें मेरा मन
तुम झील की कमल।।
छिटक रही छटा
आभा रूप की तेरी ऐसी
जिन पलों ने इनको देखा
झूूम रहें मचल मचल
तुम झील की कमल।।
गुलशन तुम गुुल से सजा है
जैसे दमक उठा नीलाभ
नीलांबर इन्द्रधनुषी रंगा जलज
ईश की रची हंंसी ईक गजल
तुुम झील की कमल।।