तुम ही मेरी हकीकत
तुम ही मेरी हकीकत
तुम बन जाओ पृथ्वी मैं बन जाऊँ चंद्रमा,
दूर रहो तुम चाहे जितने मैं तो करूँ तेरी परिक्रमा,
मैं तेरा आसमां तू मेरी जमीं
मृगमरीचिका में ही सही मिलेंगे कहीं,
तुम मेरी चाँद मैं तेरा चकोर
तुम्हारे सिवा नहीं देखूँ किसी ओर,
तुम ही मेरी हकीकत तुम ही मेरे ख्वाब
तुम्हारे लिए ही मैं बहाता आब।
सच्चे प्रेम पर रहता पहरा
इस समाज का किरदार है दोहरा,
दूर रहने से कम ना कम ना होगा
प्रेम और भी होगा गहरा,
यही बताने के लिए सच में
मैं तो हूँ जी रहा।