तुम दूर होकर भी पास लगती हो
तुम दूर होकर भी पास लगती हो
तुम दूर होकर भी पास लगती हो
ना कोई हो फिर भी खास लगती हो
पता नहीं ऐसी क्या बात है तुम में
जो साथ नहीं हो फिर भी साथ लगती है।।
दुनिया की खूबसूरती समेटे ऐसी बात लगती हो
एक सिंपल सी ड्रेस में भी खास लगती हो
पता नहीं ऐसी क्या बात है तुम में
जो बिना सिंगार के भी तेजाब लगती हो।।
लगता है हमें तुम्हें ईश्वर ने फुर्सत से सजाया हो
केवल और केवल ऐसा एक पीस ही बनाया हो
यह मेरा भ्रम है या सच्चाई पता नहीं
पर तुम्हीं करती मेरी सुबह और शाम की रात हो।।