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Ervivek kumar Maurya

Romance

3  

Ervivek kumar Maurya

Romance

तुझको खो दिया

तुझको खो दिया

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पाने की जिद में तुझको खो दिया

अपना बनाना चाहा तुझको खो दिया

पाने की जिद में.........

मेरे सफर का तू ही हमसफ़र था

तेरे बिना मंजिल का न कोई डगर था

मंजिल को पाने में राहों को खो दिया

पाने की जिद में.......

मुझको सम्भाला तूने मुझको संवारा

तेरे बिना अब न मेरा कोई है सहारा

स्वयं के साथ चलने में तुझको खो दिया

पाने की जिद में.......

मेरी दिल की गली में तेरा मकां था

सुबह-शाम होता बस तेरा दीदार था

दिल को शहर बनाने में तुझको खो दिया

पाने की जिद में...........

हर एक बात और वो रात याद आती है

जिसमें खुद को वो मुझे सौंप जाती थी

किसी और की आदतों में चाहत को खो दिया

पाने की जिद में..........


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