"तुझे एक लिखूं या हज़ार लिखूं,? "
"तुझे एक लिखूं या हज़ार लिखूं,? "
तुझे एक लिखूं या हज़ार लिखूं,
तू कहे तो तुझे लाख बार लिखूं।
तेरे नाम से हर कहानी सजी,
अब तुझे कैसे मैं इज़हार लिखूं।
तेरी बातों में है इक समुंदर बसा,
उस गहराई को मैं कितनी बार लिखूं।
तू है मौसम सा, हर पल नया,
तू कहे तो तुझे हर बहार लिखूं।
तेरे चेहरे पे रंग हैं हजारों छिपे,
उन्हें कैसे मैं एक आधार लिखूं।
तू कहे तो मैं चांदनी रात लिखूं,
या सितारों से भरी रातें हज़ार लिखूं।
तू ही बता कैसे लिखूं तुझे,
दिल से उठे हर इक पुकार लिखूं।