"काश ज़िन्दगी में भी गुरुत्वाकर्षण होता"
"काश ज़िन्दगी में भी गुरुत्वाकर्षण होता"
काश ज़िन्दगी में भी गुरुत्वाकर्षण होता,
हर ख़्वाब, हर चाहत, दिल की तरफ़ खिंचता।
दूरियाँ मिट जातीं, फासले थम जाते,
जो दिल में होता, वो सीधा पास आता।
बिछड़े रिश्ते भी शायद फिर जुड़ जाते,
ग़म और ख़ुशियाँ दोनों पास खड़े मिल जाते।
जिन्हें पाने की चाह थी, वो कभी दूर न होते,
हर चाहत की मंज़िल, कदमों में आ गिरती।
आसमान के सितारे भी जमीं पे आ जाते,
हर ख्वाहिश का सूरज भी पास झुक जाता।
उम्मीदों का आकाश, नीचे झुक कर मिल जाता,
दिल से उठी हर पुकार, फ़ौरन जवाब पाता।
काश ज़िन्दगी में भी ऐसा कोई नियम होता,
दूर के सपनों को भी दिल तक खींच लाता।
हर टूटे सपने को भी, फिर से जोड़ देता,
गुरुत्वाकर्षण से बंधी, हर राह सुलझा देता।
मगर ये ज़िन्दगी है, अपने नियमों में क़ैद,
हर चाहत, हर मंज़िल यूँ ही नहीं पास होती।
फिर भी ये दिल, गुरुत्वाकर्षण सा खिंचता है,
जिसे पाना मुश्किल हो, उसी की तरफ़ झुकता है।
