"शब्दों के रंग: उलझन और सुलझन"
"शब्दों के रंग: उलझन और सुलझन"
शब्दों के रंग में उलझी दास्तान है,
हर एक लफ़्ज़ में बसी एक पहचान है।
उलझनें भी यूँ सुलझती चली जाती हैं,
जब सच्चे दिल की जुबां में ईमान है।
हर सुलझन में छुपी होती है उलझन,
इन्हीं राहों में ढूँढती इंसान है।
राहें मिलेंगी वहाँ, जहाँ हो धैर्य,
हर मुश्किल के आगे एक अरमान है।
शब्दों से खेलती ये ज़िंदगी की बुनियाद,
सुलझे जो दिल, तो हर बात आसान है।
कभी ख़ामोशी में उलझी कोई सदा,
कभी सुलझने की चाह में हैरान है।
ये रंग-ओ-शब्द के खेल निराले हैं,
इन्हीं में छुपी ज़िन्दगी की पहचान है।
