STORYMIRROR

Sachin Kapoor

Abstract

2  

Sachin Kapoor

Abstract

टूटता तारा

टूटता तारा

1 min
430

याद है

उस रात टूटते हुए तारे को देखकर, 

तुमने मुझसे कहा था, 

मांग लेते हैं एक दूजे को खुदा से, 

और मैंने अकड़ते हुए कहा था, 

'तुम मेरी हो,

मुझे तुम्हें किसी से मांगने की जरूरत नहीं ', 

काश, 

मांग लिया होता तुम्हारा साथ दुआओं में।

नहीं टूटता अब तारा कोई, 

पर टूट गई है उम्मीद, 

तेरे-मेरे एक होने की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract