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Abhilasha Chauhan

Tragedy

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Abhilasha Chauhan

Tragedy

टूट गया जब मन का दर्पण

टूट गया जब मन का दर्पण

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टूट गया मन का जब दर्पण

प्रेम फलित फिर कैसे होता

निज भावों की शव शैया को

अश्रुधार से नित है धोता।


आस अधूरी प्यास अधूरी

जीने की कैसी मजबूरी

साथ-साथ चलते-चलते भी

नित बढ़ती जाती है दूरी

नागफनी से उगते काँटे

विष-बीजों को फिर भी बोता

निज भावों---।।


तिनका-तिनका बिखरा जीवन

एक प्रभंजन आया ऐसा

सुख-सपनों में लगी आग थी

संबंधों पर छाया पैसा।

पलक पटल पर घूम रहा है

एक स्वप्न आधा नित रोता।

निज भावों----।।


प्याज परत सा उधड़ रहा है

रिश्तों का ये ताना-बाना

समय बीतते लगने लगता

हर कोई जैसे अनजाना

उजड़े कानन में एकाकी

भटक रहा सब खोता-खोता।

निज भावों----।।



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