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AJAY AMITABH SUMAN

Comedy

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AJAY AMITABH SUMAN

Comedy

ठंडी क्या आफत है भाई

ठंडी क्या आफत है भाई

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ठंडी क्या आफत है भाई ,

सर पे टोपी बदन रजाई ,

भूले सारे सैर सपाटा ,

गलियों में कैसा सन्नाटा,

दादी का कैसा खर्राटा, 

जैसे कोई धड़म पटाखा ,

पानी से तब हाथ कटे है , 

जब जब आटा हाथ सने है,

भिंडी लौकी कटे ना भाई ,

सर पे टोपी बदन रजाई ,

ठंडी क्या आफत है भाई।


भूल गए सब चादर वादर, 

कूलर भी ना रहा बिरादर,

क्या दुबले क्या मोटे तगड़े ,

एक एक कर सबको रगड़े,

थर थर थर थर कंपते गात ,

और मुंह से निकले भाप , 

बाथ रूम को जब भी जाते,

बूंद बूंद से बच कर जाते, 

मौसम ने क्या ली अंगड़ाई,

सर पे टोपी बदन रजाई ,

ठंडी क्या आफत है भाई।


ऐ.सी.ने फुरसत पाई है, 

कूलर दीखते हरजाई है ,

बिस्तर बिस्तर छाई आलस, 

धूप बड़ी दिल देती ढाढ़स,  

कुहासा अम्बर को छाया ,

गरम चाय को जी ललचाया,

स्वेटर दास्ताने तन भाए ,

कि मन भर भर भर को चाहे ,

गरम पकौड़े ,गरम कढ़ाई ,

सर पे टोपी बदन रजाई ,

ठंडी क्या आफत है भाई।


सन सन सन हवा जो आती,

कानों को क्या खूब सताती ,

कट कट कट दांत बजे जब,

गरम आग पर हम तने तब,

चाचा चाची काका काकी,

साथ बैठ कर घुर तपाते,

राग बजाते एक सुर में,

बैठे बैठे मिल सब गाते,

इससे बड़ी ना विपदा भाई,

सर पे टोपी बदन रजाई ,

ठंडी क्या आफत है भाई।



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