ठेला
ठेला
ठेलते पुरजोर ठेला वे निवालों के लिए।
चल दिये मीलों उलझते हर सवालों के लिए।
तब कहीं लाते पिता जी रात दिन की रोटियाँ-
राह तकते घर में अपने नौनिहालों के लिए।
ठेलते पुरजोर ठेला वे निवालों के लिए।
चल दिये मीलों उलझते हर सवालों के लिए।
तब कहीं लाते पिता जी रात दिन की रोटियाँ-
राह तकते घर में अपने नौनिहालों के लिए।