त्रासदी
त्रासदी


मां का रिश्ता है, सब रिश्तों से ऊपर
कहते हैं सभी, समझता है कोई-कोई
नारी (औरत) है सबला, गूंज है गली गली
सुनते हैं सभी, मानता है कोई-कोई
पुत्री है पुत्र-तुल्य, नारा है आज का
बोलते हैं सभी, अपनाता है कोई-कोई
भ्रूण हत्या है पाप, समय की है मांग
विचारते हैं सभी, रोकता है कोई-कोई