तनहाई
तनहाई
कुछ लोग हमें हर बार यह एहसास दिलाते हैं
क्योंं जिनसे हमें उम्मीद ना थी वही यह सब कर जाते हैं
हमें जो पहले हंसाते थे वह अब क्यों गम दिए जाते हैं
क्यों वह हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।।
जिनसेे हमने अक्सर अपना हाल बांटा है
वह अब क्यों ना पहले की तरह कुछ कर पाते हैं
हमारेेे लिए कुछ करना तो दूर वह कुछ सोचना भी ना चाहते हैं
क्यों वह हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।।
उनसे तो अब हम उनकी शिकायत भी ना कर पाते हैं
जो पहले अपने थे वह अब हमें पराया मानतेे हैं
कोई और रिश्ता ना ही सही वह इंसानियत का फर्ज हीना निभातेे हैं
क्यों वह हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।
जो हमें जानते हैं वह क्योंं अनजानो जैसा व्यवहार करते हैं
हमारा साथ देने वाले क्यों आज साथ देने को कतराते हैं
दूरियों को वह क्यों हर बार वजह बताते हैं
क्यों वह हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।।
उन्हें कोई समझाए कि यह बस बातें हैं
दूरिया तो सिर्फ शब्द है वह हमें अब अपना कुछ ना मानना चाहतेे हैं
चोट देकर भी जो हमसे कुछ ना कहतेे हैं वह और कुछ नहीं
हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।।
उनका यह करना हमें कितना सताता है
पुराने दिनों को मिटता हुआ दिखाता है
एक सवाल बार बार उमड़ आता है
क्यों कोई हमें तनहाई महसूस करवाते हैं ।।