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pooja Trivedi Raval

Abstract

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pooja Trivedi Raval

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मेरा बसंत

मेरा बसंत

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पीले सरसों लहराते हैं जैसे खेत में,

मैं भी लहराई यूं ही तेरे हेतु में।


ॠतुओ की रानी जैसे छाई दुनिया में,

पीली चुनर उसकी लहराई किसान के मन में।


वैसे ही छाई तू मेरे आंगन में,

खुशियां हर जन्म की पाई तेरे आगमन में।


अकेला था मन मेरा जुलस सा गया था,

तेरे आने से जैसे कि बसंत का मौसम खिल गया था।


अपने हर किस्से में तेरी यादें हैं छाई,

जैसे बसंत की बहार हर खेत में लहराई।


नए फूल खिले हैं, सिर्फ एक पास उसने जगाई,

आना जाना नियम है संसार का,

कुछ जाए तो मिले नया कुछ आने की बधाई।


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