सितारा हूँ
सितारा हूँ
सितारा हूँ, मैं चमकुं तो, उजाले मांग लेना तुम
और गर टूट के बिखरुं, मुरादें मांग लेना तुम
मैं जोगी हूँ, नहीं मेरा कोई सब्ज़ा, कोई सहरा
तेरी बस्ती से गुजरू तो ज़रा सी छांव देना तुम
अजायबघर में रखी हैं मेरे पुरखों की तलवारें
जो मुझसे गुफ़्तुगू करना तो लहजा थाम लेना तुम
कलंदर हो कोई चाहे या कितना भी सिकन्दर हो
सभी मट्टी में लेटे हैं ये बातें जान लेना तुम।
ज़हर कितना भी ज़हरीला हो उतर जायेगा एकदम
ज़हर के सामने एक बार, मेरा नाम लेना तुम।