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Amaan Iqbal

Abstract

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Amaan Iqbal

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बदनाम हो जाओ

बदनाम हो जाओ

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नक़ाबों से यूँ निकलो कि सरेआम हो जाओ

गुमनामी से बेहतर है कि बदनाम हो जाओ,


ये झूठी शान है झूठी है सारी तेरी ख़ुद्दारी

के अंदर झाँक लो या ख़ुद ही गिरहबान हो जाओ


इमान के सौदे में रखते हो इमा दारी

वक़्त आ गया है अब तो बेईमान हो जाओ


लगी है होड़ नंगी हर तरफ़ अहले सिसायत की

ऐ आसमान-ओ-ज़मी, वीरान हो जाओ


पंडित बनो, मुल्ला बनो, बन जाओ तुम ख़ुदा

जो कुछ न बन सको तो फिर 'अमान' हो जाओ।


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