Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Amaan Iqbal

Abstract

3  

Amaan Iqbal

Abstract

आदम

आदम

1 min
254


हाय रे आदम क्या कर डाला

आदम तेरा काम निराला


सारा अम्बर स्याह पड़ा है

और ज़मीं है लाल

लहू निकलता अब आँखों से

घूम रहे कंकाल

दूर वो पंछी उड़े गगन में

तुझसे करे सवाल


रे आदम

छीन के खुद से खुद का निवाला

हाय रे आदम क्या कर डाला

दरियाओं से छिनी रवानी

आँख का सूखा पानी

काम, क्रोध और द्वेष बचा बस

और न कोई कहानी


बचपन तेरा फुटपाथों पे

बाज़ारू हुई जवानी

प्रेम के हिस्से आयी फ़क़ीरी

नफरत मालामाल

दूर वो पंछी उड़े गगन में


तुझसे करे सवाल

रे आदम

छीन के खुद से खुद का निवाला

हाय रे आदम क्या कर डाला


लड़ लड़ मरते

कट कट मरते

मर मर गिरते

गिर गिर मरते

दम दम रोते


सब कुछ खोते

है मकड़ी का जाला

छीन के खुद से खुद का निवाला

हाय रे आदम क्या कर डाला।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract