स्वागत गान
स्वागत गान
फूलों की फुहार ।
रंगों की बहार।
बगिया में नवजीवन ।
खिल उठा जनजीवन।
ताजगी का अहसास।
रूप में निखार।
कोयल की कूक।
आकाश में कलरव की गूंज।
सरसों के पीले फूल।
राहत देती धूप।
रंगो की होली।
प्रकृति ने खूब खेली।
धरती सजी है।
दुल्हन सरीखी।
फूलों से किया है श्रृंगार।
खत्म हुआ वसंत के आगमन का इंतजार।
सारे नजारे है गुलज़ार ।
ऋतुराज की दस्तक, लाई है बहार।
छाई है खुशियां, सबमें अपार।
प्रकृति में उमंग।
सांसो में तरंग।
अधरों पर लौट आई है मुस्कान।
आओ मिल गाते हैं स्वागत गान