पाक मोहब्ब्त
पाक मोहब्ब्त
बिना बोले ही बातचीत होती है
बिना मिले ही मुलाकात होती है
ये तेरी मोहब्ब्त रूहानी है,साखी
बिना सावन के ही बरसात होती है
खिल जाते हैं कागज के फूल भी
जब भी जेहन में उनकी याद होती है
कहते हैं मोहब्ब्त में तो साखी
पत्थर तक पिघल जाते हैं
फ़िर हम इंसानों की तो
क्या औकात होती है
बिना बोले, बिना देखे, बिना सुने
जो मोहब्ब्त होती है न साखी,
उसमे ही ख़ुदा की जात होती है
बाकी कोरी जिस्म की मोहब्ब्त तो,
कब्र के भीतर होते ही ख़ाक होती है।