Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

VIJAY LAXMI

Inspirational

4.5  

VIJAY LAXMI

Inspirational

तंद्रा ( नींद से पहले)

तंद्रा ( नींद से पहले)

1 min
449


हम स्वप्न लिए खड़े हैं निंद्रा रुपी तट पर

अचानक ख्याल आया हम खड़े हैं

चंद सिक्कों की खनखनाहट में सब खो गये हैं,

गहरी निंद्रा में सो गये हैं।।


ये हमारे देश की व्यवस्था है

सब कुछ महंगा है

बस इंसान यहां सस्ता है

इस बेमानी दुनिया में स्वार्थी सब हो गये हैं

गहरी निंद्रा में सो गये है।।


चारों ओर हाहाकार मचा है

फिर भी शांति का बिगुल बजा है

मर्यादाओं की सीमा लांघ मर्यादित हो रहें हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।


स्वार्थी, मतलबी दुनिया को

अब तंद्रा से जगाना होगा

वो संस्कार, संस्कृति को भूल रहें हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।


रावण तो त्रेतायुग में हुआ था

तो द्वापर में कंस हुआ था

कलयुग में हर घड़ी रावण, कंस पैदा हो रहे है

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं ।।


आओ हम निंद्रा की तंद्रा को तोड़ डाले

स्वार्थ की जंजीरों को खोल डाले

ईमानदारी की डगर पर लाना होगा

जो बेईमानी की डगर पर चल रहे हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational