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VIJAY LAXMI

Inspirational

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VIJAY LAXMI

Inspirational

तंद्रा ( नींद से पहले)

तंद्रा ( नींद से पहले)

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हम स्वप्न लिए खड़े हैं निंद्रा रुपी तट पर

अचानक ख्याल आया हम खड़े हैं

चंद सिक्कों की खनखनाहट में सब खो गये हैं,

गहरी निंद्रा में सो गये हैं।।


ये हमारे देश की व्यवस्था है

सब कुछ महंगा है

बस इंसान यहां सस्ता है

इस बेमानी दुनिया में स्वार्थी सब हो गये हैं

गहरी निंद्रा में सो गये है।।


चारों ओर हाहाकार मचा है

फिर भी शांति का बिगुल बजा है

मर्यादाओं की सीमा लांघ मर्यादित हो रहें हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।


स्वार्थी, मतलबी दुनिया को

अब तंद्रा से जगाना होगा

वो संस्कार, संस्कृति को भूल रहें हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।


रावण तो त्रेतायुग में हुआ था

तो द्वापर में कंस हुआ था

कलयुग में हर घड़ी रावण, कंस पैदा हो रहे है

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं ।।


आओ हम निंद्रा की तंद्रा को तोड़ डाले

स्वार्थ की जंजीरों को खोल डाले

ईमानदारी की डगर पर लाना होगा

जो बेईमानी की डगर पर चल रहे हैं

गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।



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