चांदनी सी शीतलता बिखेरती हुई तारों संग, आवाज़ में कहती हो हम यहीं है, हम यहीं है चांदनी सी शीतलता बिखेरती हुई तारों संग, आवाज़ में कहती हो हम यहीं है, हम ...
मूक बने क्यों बैठे हो? अपनी तन्द्रा तो खोल।। हे!विद्वतजन कुछ तो। मूक बने क्यों बैठे हो? अपनी तन्द्रा तो खोल।। हे!विद्वत...
वो संस्कार, संस्कृति को भूल रहें हैं गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।। वो संस्कार, संस्कृति को भूल रहें हैं गहरी निंद्रा में सो रहे हैं।।