STORYMIRROR

शशि कांत श्रीवास्तव

Others

2  

शशि कांत श्रीवास्तव

Others

"स्वप्न "

"स्वप्न "

1 min
152

तुझे भूलने की 

जितनी कोशिश करता हूँ 

मुझे उतना ही याद आती हो, क्यों 

जब आसमान में काले बादलों की ओट से 

चाँद निकलता है 

तो लगता है, जैसे तुम मेरे सामने हो 

और 

चांदनी सी शीतलता बिखेरती हुई 

तारों संग, आवाज़ में कहती हो 

हम यहीं है, हम यहीं है 

तभी हवा का झोंका आता है 

और सब कुछ बिखर जाता है 

तन्द्रा टूटती है 

स्वप्न बिखर जाता है मन उदास हो जाता है 

फिर अगले स्वप्न को सजाने लगता है 

रात आती है जाती है 

पर स्वप्न नहीं आता है 

सब कुछ बिखर जाता है 

स्वप्न बिखर जाता है 

स्वप्न बिखर जाता है 


Rate this content
Log in