STORYMIRROR

D.N. Jha

Inspirational

4  

D.N. Jha

Inspirational

मूक बने क्यों बैठे हो?

मूक बने क्यों बैठे हो?

1 min
309


मूक बने क्यों बैठे हो?

अपनी तन्द्रा तो खोल।।                    

हे!विद्वतजन कुछ तो बोल।

सही-गलत का भेद तो खोल।।


सत्य को सत्य कह पाना माना है कठिन।

असत्य में चुप रह जाना ये कैसा है दीन।।

वाचालों को महफ़िल में जब मौन पाया।

जाने कौन सा खौफ है उन पर भी छाया?


सजा मुखौटा समझ न आया।

दोहरा चरित्र है समझ में आया।

हर तकल्लुफ को यहां जो देखा।                 ‌      

तो तराजू का मोहताज है पाया।


तब भी 'दीपक' समझ न पाया।

क्यूं करता निज प्रकाश तू जाया?

ना जाने किस धुन में है तू खोया?

आनी-जानी सब उसकी है माया।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational