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JAYANTA TOPADAR

Romance Tragedy

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JAYANTA TOPADAR

Romance Tragedy

तमन्ना...

तमन्ना...

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डूब के जाने की तमन्ना है मुझे

दरिया-ए-दिल में...


रफ्ता-रफ्ता तन्हाईयों में मेरी आवाज़

दब के रह जाती है मगर...!


उन गुज़रे पलों की बेपनाह रहगुज़र में

दास्तान-ए-ज़िन्दगी मेरी कहीं गुम होकर रह जाती है...!


और बहुत हैं मुश्किलें खड़ी मेरे दिल के मैखाने में...

जो मैं जाम-ए-दर्द पीये जाता हूँ...!


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