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Mukesh Kumar Modi

Tragedy

4  

Mukesh Kumar Modi

Tragedy

तलाकशुदा नारी की व्यथा

तलाकशुदा नारी की व्यथा

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गमों की कमी ना थी, तुम एक और गम दे गए

जीवन भर के लिए मुझे, तुम अकेला कर गए


तुम्हारे लिए हमने ख़ुद का, ख्याल ही ना रखा

हम ज़िन्दगी की राहों में, तेरे भरोसे चलते गए


तुम पर हमारा यक़ीन, कभी भी कम ना हुआ

ना जाने क्यों मुझ पर तुम, यूं शक पालते गए


अपने राज छुपाने में तुम, बड़े चालाक थे मगर

वक्त के साथ हम तेरी, सब हरकतें जानते गए


हर पीड़ सहते रहे, चेहरे पर शिकन लाए बिना

तेरी हवस पूरी करने को, ये जिस्म बिछाते गए


सिर्फ तेरी खुशी के लिए, क्या नहीं किया हमने

तुम पर अपना सब कुछ, हम कुर्बान करते गए


मंजूर था मरना भी, परिवार को बचाने के लिए

रोकना चाहकर भी तुम, जीवन से निकलते गए


कर दिया तलाक़ देकर, बेसहारा तुमने मुझको

तुम किसी और के हुए, हम हाथ मलते रह गए.



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