तलाक
तलाक
दर्द है ये दो दिलों का एक का होता नहीं
जागते है संग दोनों कोई भी सोता नहीं
है ख़ुशी का या के ग़म का कोई कह सकता नहीं
अश्क़ वैसे भी यारों रंग होता ही नहीं
याद आती है घड़ी वो पहली बार जो हम मिले थे
बसंत के वो दिन नहीं थे फूल पर दिल में खिले थे
क्या हुआ जो सारी यादें धूल बन के उड़ गयी
दोनों ने मांगी थी ख़ुशियाँ क्यों शूल बन के चुभ गयी
आपसी सम्मान को क्यों दोनों ने भुला दिया
घोंसला सपनों का हमने खुद ही क्यों जला दिया
मैं गलत या तू सही है फर्क अब पड़ता है क्या
फैसला अब पूछता है अमल से डरता है क्या
ख़ुशियों का हरेक लम्हा कैसे अब भुलाएँगे
बीती बातें दूर तक अब साथ अपने जाएंगे
रूठने मनाने का जो सिलसिला हमारा था
साथ छूटने का ग़म भी हमको ही उठाना था
क्या हुआ जो साथ टूटा दोनों जाने क्यों वो हाथ छूटा
क्या गलत कर दिया जो दोनों का दिल साथ टूटा
सपने हमने देखे थे जो सुनहरे भविष्य के
बातें बनकर रह गए सब अपने भविष्य के
दोनों को ही खुद के अहम् का अभिमान था
अपने स्वाभिमान का एक झूठा गुमान था
प्यार में झुक गए तो छोटे ना हो जाओगे
एक बार वो रिश्ता टूटा फिर ना उसको पाओगे
मैं हूँ, बस मैं ही हूँ ये बड़ा कमाल है
घर के टूटने का ये तो ज़िंदा मिसाल है
शादी कोई खेल नहीं जन्मों का बंधन है
टूट जाए ये अगर तो मन में होता क्रंदन है
कागज़ के टुकड़ो को किसने बनाया है
आत्मा अलग हो जाए किसने सिखाया है
हो गए अलग तो क्या हँस कभी तुम पाओगे
आसूंओं को कैसे अपने पलकों में छुपाओगे
हमसफ़र नया तुम्हारा जब तुम्हे बुलाएगा
उसके आवाज़ में क्या मेरा भाव ना आएगा
हर कदम पर उसमे हम तुम को तलाशेंगे
तेरी अच्छाइयों को उसमे ही झांकेंगे
तेरा ना हो सका न उसका हो पाऊँगा
साथ अपने उसकी भी ख़ुशियाँ गवाऊंगा
आओ चले लौटकर फिर हम अपने संसार में
हो गया जो छोड़ दे सब उनको मझधार में
मिलकर हम साथ में फिर घोंसला बनाएंगे
भूल जो भी कर बैठे फिर उसको ना दोहराएंगे
साथ अपने जीवन का उम्र भर निभाएंगे
अपनी इस बगिया में फूल दो खिलाएंगे