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AMAN SINHA

Tragedy

4  

AMAN SINHA

Tragedy

तलाक

तलाक

2 mins
109


दर्द है ये दो दिलों का एक का होता नहीं

जागते है संग दोनों कोई भी सोता नहीं

है ख़ुशी का या के ग़म का कोई कह सकता नहीं

अश्क़ वैसे भी यारों रंग होता ही नहीं


याद आती है घड़ी वो पहली बार जो हम मिले थे

बसंत के वो दिन नहीं थे फूल पर दिल में खिले थे

क्या हुआ जो सारी यादें धूल बन के उड़ गयी

दोनों ने मांगी थी ख़ुशियाँ क्यों शूल बन के चुभ गयी


आपसी सम्मान को क्यों दोनों ने भुला दिया

घोंसला सपनों का हमने खुद ही क्यों जला दिया

मैं गलत या तू सही है फर्क अब पड़ता है क्या

फैसला अब पूछता है अमल से डरता है क्या


ख़ुशियों का हरेक लम्हा कैसे अब भुलाएँगे

बीती बातें दूर तक अब साथ अपने जाएंगे

रूठने मनाने का जो सिलसिला हमारा था

साथ छूटने का ग़म भी हमको ही उठाना था


क्या हुआ जो साथ टूटा दोनों जाने क्यों वो हाथ छूटा

क्या गलत कर दिया जो दोनों का दिल साथ टूटा

सपने हमने देखे थे जो सुनहरे भविष्य के

बातें बनकर रह गए सब अपने भविष्य के


दोनों को ही खुद के अहम् का अभिमान था

अपने स्वाभिमान का एक झूठा गुमान था

प्यार में झुक गए तो छोटे ना हो जाओगे

एक बार वो रिश्ता टूटा फिर ना उसको पाओगे


मैं हूँ, बस मैं ही हूँ ये बड़ा कमाल है

घर के टूटने का ये तो ज़िंदा मिसाल है

शादी कोई खेल नहीं जन्मों का बंधन है

टूट जाए ये अगर तो मन में होता क्रंदन है


कागज़ के टुकड़ो को किसने बनाया है

आत्मा अलग हो जाए किसने सिखाया है

हो गए अलग तो क्या हँस कभी तुम पाओगे

आसूंओं को कैसे अपने पलकों में छुपाओगे


हमसफ़र नया तुम्हारा जब तुम्हे बुलाएगा

उसके आवाज़ में क्या मेरा भाव ना आएगा

हर कदम पर उसमे हम तुम को तलाशेंगे

तेरी अच्छाइयों को उसमे ही झांकेंगे


तेरा ना हो सका न उसका हो पाऊँगा

साथ अपने उसकी भी ख़ुशियाँ गवाऊंगा

आओ चले लौटकर फिर हम अपने संसार में

हो गया जो छोड़ दे सब उनको मझधार में


मिलकर हम साथ में फिर घोंसला बनाएंगे

भूल जो भी कर बैठे फिर उसको ना दोहराएंगे

साथ अपने जीवन का उम्र भर निभाएंगे

अपनी इस बगिया में फूल दो खिलाएंगे


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