तिरंगे की शान
तिरंगे की शान
तेरे माटी पर लेकर जन्म मैं
हर बार अपनी शीश कटवाता रहूंगा
अपने वतन पर अपनी जान निछावर करता रहूंगा
जब तक है मेरे शरीर में लहू का एक भी कतरा
अपने तिरंगे की शान को कभी न झुकने दूंगा.....
मर जाऊंगा , मिट जाऊंगा पर
भारत मां के अंचल को रखूंगा महफूज
हैं ये कसम मेरे तिरंगे की
हर बार तिरंगे में लपेटकर
तेरे दर पर आता रहूंगा ऐ वतन.....
दुश्मनों को धूल चटाकर
अपनी शीश भारत मां के चरणों में चढ़ता रहूंगा
महफूज है हमसे ही हमारा वतन
ये विश्वास और अटल कर जाऊंगा......
दुश्मनों से भीड़ कर
खदेड़ दूंगा दूर अपने वतन से
चाहे देना पड़े अपनी जान
पर कम न होने दूंगा अपने तिरंगे की शान.......
भारत माता की जय